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आज भारतवर्ष में धर्म कर्म की कोई कमी नहीं है। बच्चा बच्चा अपने आप को धार्मिक कहता व समझता है। लेकिन अफ़सोस ! कि लाज शर्म, बड़े बजुर्गो का भय तथा बड़ों का आदर सम्मान देखने को नहीं मिलता। हर रिश्ते में कड़वाहट नज़र आ रही है अर्थात दिन प्रतिदिन रिश्ते दरकते जा रहें है। बहू बेटों के जुल्मो सितम से माता पिता के बहते आंसू, नारी उत्पीड़न, पति पत्नी के पावन रिश्ते में अविश्वास व कड़वाहट के कारण आज घर, घरद्वार न रहकर, नरक द्वार बन गए है। मानव समाज से मानवीयता लुप्त होती देख तथा मानवता का गिरता मयार देखकर लेखक द्वारा मानव समाज को जागृत करने के लिए पुस्तक "दरकते रिश्ते" के माध्यम से मानव समाज को आईना दिखाने का प्रयास किया गया है।
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Details of Book: दरकते रिश्ते
Book: | Darakte Rishte |
Author: | Satyavir Nirala |
Category: | Family & Relationship |
ISBN-13: | 9789391041380 |
Binding & Size: | Paperback (5.5" x 8.5") |
Publishing Date: | 7th Dec 2021 |
Number of Pages: | 88 |
Language: | Hindi |
Reader Rating: | N/A |
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