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प्रेमचंद के निधन के लगभग पचासी साल बाद उनके अंतिम अधूरे उपन्यास “ मंगलसूत्र “ को उनके अनुयायी डॉ प्रभुदयाल मंढ़इया ‘विकल’ ने उनकी सोच,भाषा,शैली तथा परिवेश का गहन अध्ययन कर “मंगलसूत्र का वरदान” शीर्षक से पूरा किया है।इस उपन्यास की विशेषता है कि मंगलसूत्र के पात्र, उनके समकालिन तथा वही परिवेश कथा को विस्तार देते हैं। इससे पहले डॉ विकल ने मुंशी प्रेमचंद के सुप्रसिद्ध उपन्यास गोदान का 1936 से 1948 तक उन्हीं पात्रों द्वारा उसी परिवेश में “ गोदान के बाद ” शीर्षक से विस्तार किया है।
हमारी जानकारी में यह प्रथम प्रयास है जिसमें किसी महान लेखक की रचना को आगे बढाने का एक अभिनव प्रयोग किया है।प्रसिद्ध पुस्तकों के अभी तक अन्य भाषाओं में अनुवाद आदि तो बहुत हुए हैं लेकिन उसी कहानी को उन्हीं पात्रों द्वारा उसी परिवेश तथा हालात में उसकी गरिमा और वैभव को अक्षुण रखते हुए आगे बढाने का यह अनूठा प्रयोग है।
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Book: | MANGALSUTRA KA VARDAAN (मंगलसूत्र का वरदान) |
Author: | Prabhu Dayal Mandhaiya Vikal |
Category: | Fiction |
ISBN-13: | 9789389540567 |
Binding & Size: | Paperback (5.5" x 8.5") |
Publishing Date: | 3rd Sep 2020 |
Number of Pages: | 294 |
Language: | Hindi |
Reader Rating: | N/A |