MANGALSUTRA KA VARDAAN (मंगलसूत्र का वरदान) | Author: Prabhu Dayal Mandhaiya Vikal

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हिंदी साहित्य जगत में माना जाता है कि मुंशी प्रेमचंद ने दस उपन्यास तथा लगभग तीन सौ उच्चकोटि की कहानियां लिखी।गोदान उनका अंतिम उपन्यास माना जाता है जो विश्व प्रसिद्ध है।किंतु प्रेमचंद साहित्य के मर्मज्ञ डॉ कमल किशोर गोयनका ने उनके शोध ग्रंथ में उनका अधूरा उपन्यास “ मंगलसूत्र ” ( 35 पृष्ठ) बताया है। यदि प्रेमचंद इस उपन्यास को लिख पाते,तो इसे उनके लेखन की पराकाष्ठा माना जाता। लेकिन विधि को यह मंजूर न था और यह उपन्यास अधूरा रह गया।

प्रेमचंद के निधन के लगभग पचासी साल बाद उनके अंतिम अधूरे उपन्यास “ मंगलसूत्र “ को उनके अनुयायी डॉ प्रभुदयाल मंढ़इया ‘विकल’ ने उनकी सोच,भाषा,शैली तथा परिवेश का गहन अध्ययन कर “मंगलसूत्र का वरदान” शीर्षक से पूरा किया है।इस उपन्यास की विशेषता है कि मंगलसूत्र के पात्र, उनके समकालिन तथा वही परिवेश कथा को विस्तार देते हैं। इससे पहले डॉ विकल ने मुंशी प्रेमचंद के सुप्रसिद्ध उपन्यास गोदान का 1936 से 1948 तक उन्हीं पात्रों द्वारा उसी परिवेश में “ गोदान के बाद ” शीर्षक से विस्तार किया है।

हमारी जानकारी में यह प्रथम प्रयास है जिसमें किसी महान लेखक की रचना को आगे बढाने का एक अभिनव प्रयोग किया है।प्रसिद्ध पुस्तकों के अभी तक अन्य भाषाओं में अनुवाद आदि तो बहुत हुए हैं लेकिन उसी कहानी को उन्हीं पात्रों द्वारा उसी परिवेश तथा हालात में उसकी गरिमा और वैभव को अक्षुण रखते हुए आगे बढाने का यह अनूठा प्रयोग है।

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Details of Book: MANGALSUTRA KA VARDAAN (मंगलसूत्र का वरदान)

Book:MANGALSUTRA KA VARDAAN (मंगलसूत्र का वरदान)
Author:Prabhu Dayal Mandhaiya Vikal
Category:Fiction
ISBN-13:9789389540567
Binding & Size:Paperback (5.5" x 8.5")
Publishing Date:3rd Sep 2020
Number of Pages:294
Language:Hindi
Reader Rating:   N/A
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