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ठाकुर श्रीश्रीश्री केशवचन्द्र जी का जन्म 1955 में माहांगा, उड़िसा में हुआ और वे 2015 तक मानव शरीर में थे। उनके माध्यम से 'चरम' शास्त्र के 50 क्रमांक आये । प्रत्येक क्रमांक में उनकी स्वहस्त लिखित वाणी 'तुम्हारा कल्याण हो' नामक शीर्षक में आती रही, जिन्में उन्होंने पिता की तरह सदय होकर अपने से स्रष्ट संतानों को पितृत्व की स्वीकृति देने के साथ जीवन जीने की कला बताई, उन लेखों से कुछ अंश :-
• परिवार ही वैकुण्ठ धाम है, जिसमें वे खुद किस प्रकार अलग-अलग भूमिकाओं यथा; माता, पिता, बहन, भाई, पति-पत्नी आदि में रह, प्रत्येक पल हमारे मंगल के लिये कार्य करते हैं।
• कर्म, निष्काम कर्म, निषिद्ध कर्म और उनके कर्मफल के बारे में भी चर्चा है। • जीवन सही ढंग से जीने के लिये व शरीर की रक्षा के लिये; आचरण नियम और वात, पित्त, कफ पर भी चर्चा है।• समस्त ज्ञान किस प्रकार, 'कैवल्य मण्डल' से आये 'षडरिपु ' (छः दुश्मन) यथा काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मात्सर्य में सिद्ध, क्रियाशील व चेतनशील संतानों के माध्यम से धरा पर आता है ?
» जिस कारण हर संप्रदाय व उनके उत्स पूजनीय हैं। सभी एक पिता की संतान हैं। मूल में धर्म एक है और सभी का लक्ष्य भी एक है - ' चरम - परम प्राप्ति' ।
● 'विश्व भ्रातृत्व' ही सनातन मानवीय धर्म की मूल भित्ति है, जिसकी मूल भित्ति 'दस मोदक' है, जिसे वह ‘विश्व भ्रातृत्व दिव्यात्मा परिषद' नामक संघ के माध्यम से, बहुत सरल तरीके से बांट गये हैं। ● समष्ट गुप्त व आलौकिक लीला का वर्णन है जिसे हम लौकिक समझते हैं जैसेः
» सृष्टि की प्रत्येक वस्तु ‘परमपिता' की रूपांतरित अवस्था है और उसी प्रकार हमें उनका उपभोग करना चाहिये न की नष्ट |
» पंचभूत (आकाश, वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी) भी उसी 'परमपिता' की रूपांतरित अवस्था है। ब्रह्माण्ड में व शरीर में वह कहाँ स्थित हैं; वे क्या-क्या कार्य करते हैं; उनके द्वारा स्रष्टा का कल्याण किस प्रकार आता है, जिस कारण हम जीवित हैं। उस पर भी चर्चा है।
● गुरू कृपा किस प्रकार मिलेगी पर भी चर्चा की है।
Details of Book: Tumhara Kalyan Ho
Book: | Tumhara Kalyan Ho |
Author: | Anil Chawla |
Category: | Spiritual |
ISBN-13: | 9789395773812 |
Binding: | Paperback (8.5" x 11") |
Publishing Date: | 21st Oct 2023 |
Number of Pages: | 192 |
Language: | Hindi |
Reader Rating | N/A |