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जिन “युगपुरुष” व “चरम ग्रन्थ” के बारे में आज से 500 वर्ष पूर्व उडिसा के पंचसखायों में अग्रगणी महापुरुष अच्युतानन्द जी अपने भविष्य ग्रन्थ मालिका में लिख गये थे। प्रभु कृपा से आज हमें उनका संधान मिला है।
संयोग वश मैं युगपुरुष श्रीश्रीश्री ठाकुर केशवचन्द्र जी के पास 2006 में पहुँच गया था। उनके अति गंभीर ग्रन्थ "चरम” की सत्य पर आधारित वाणियों व ज्ञान का 18 वर्षो में अध्ययन व अनुसरण कर और गुरू जी के सान्निध्य में बिताये समय की अनुभूतियों को इस पुस्तक के पन्नों में एक इजीनियर के तर्क संगत मन द्वारा विश्लेषण कर आप सब के सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूँ।
आज इस घोर कलि के समय व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक व राष्ट्रीय मानविक मुल्यबोध निम्न स्तर तक पहुँच चुका है। ऐसे संकटमय समय में किस प्रकार की साधना द्वारा हम सब अपनी समस्त पारिवारिक व सांसारिक जिम्मेवारियों के मध्य अपने आपको स्वस्थ रखने के साथ-साथ जीवन के परम लक्ष्य “चरम” को पहचान कर सरलता से प्राप्त कर सकते हैं वह इन लेखों के माध्यम से स्पष्ट हो जायेगा।
इसके इलावा हमारे मन में चल रहे अन्य बहुत से प्रश्नों के उत्तर भी हमें मिल जायेंगे जैसेः
• दुर्लभ मानव जीवन को श्रेष्ठ क्यों कहा जाता हैं ? क्या हम मानव हैं ?
• इस सृष्टि की रचना कैसे हुई ? हम कौन हैं ? यहाँ पर क्यों आये हैं और क्या करने आये हैं ?
सभी भाई बहनों के लिये यह पुस्तक बहुत उपयोगी सिद्ध होगी।
Key Features:
ऐतिहासिक भविष्यवाणियाँ: महापुरुष अच्युतानंद की 500 वर्ष पुरानी भविष्यवाणियों की जानकारी।तर्कसंगत विश्लेषण: इंजीनियर द्वारा तर्कपूर्ण और विश्लेषणात्मक व्याख्या।आध्यात्मिक मार्गदर्शन: आधुनिक जीवन की समस्याओं के बीच आत्मिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए मार्गदर्शन।अस्तित्व के उत्तर: मानव अस्तित्व और उद्देश्य के मौलिक प्रश्नों के उत्तर।स्वास्थ्य और जिम्मेदारी: स्वास्थ्य और पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ आध्यात्मिक साधना का संतुलन।प्रबुद्ध शिक्षाएँ: युगपुरुष श्री श्री श्री ठाकुर केशवचंद्र जी की शिक्षाओं का सार।विस्तृत कवरेज: व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक और राष्ट्रीय मूल्यों पर विस्तृत जानकारी।सरल भाषा: सरल और व्यवस्थित तरीके से प्रस्तुत।Bullets Points:
ऐतिहासिक आध्यात्मिक भविष्यवाणियाँप्राचीन ग्रंथों का तर्कसंगत विश्लेषणव्यावहारिक आध्यात्मिक मार्गदर्शनजीवन की जिम्मेदारियों का संतुलनअस्तित्व के मौलिक प्रश्नों के उत्तरयुगपुरुष केशवचंद्र जी की शिक्षाएँ
Details of Book: Virat Roop Darshan v Prapti
Book: | Virat Roop Darshan v Prapti |
Author: | Anil Chawla |
Category: | Spirituality, Philosophy, Self-Help |
ISBN-13: | 9789395773881 |
Binding & Size: | Paperback (5.5" x 8.5") |
Publishing Date: | 2024 |
Number of Pages: | 220 |
Language: | Hindi |
Reader Rating: | N/A |
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