समाज व विधवा पूर्ण विवाह By विक्रम सिंह राजपुरोहित

Coming Soon...
विधवा पुर्नविवाह आज के वक्त मे समाज कि जीत हार सुनिश्चित करने वाला तथ्य है चाहे समाज विधवा औरत के आँसुओ को अनदेखा कर अपनी स्वीकार कर ले या उस औरत कि बेरंग आँखो मे खुशियो से भरी रोशनी कि सौगात देकर अपनी जीत सुनिश्चित कर ले | पर कुछ भी हो समाज अपनी नाकामी का ठिकरा उस बेबस पर ना फोङे |
यहा पर विधवा कि बात चल रही है तो विधवा शब्द का अर्थ भी जानलेना अनिवार्य है-
विधवा शब्द हिन्दी संस्क्रत का शब्द है बैवा उर्दु शब्द है बैवा शब्द का उपयोग फारसी मे भी होता है और अंग्रेजी मे इसका प्रयोग विडो शब्द से होता है इसकी खास बात यह है कि ये तीनो शब्द हिन्दी मे स्तेमाल होते है |
संस्क्रत का शब्द धवः जिसका तात्पर्य पति, परमेश्वर, मालिक, स्वामी आदि | धवः शब्द का संस्क्रत धातुधुसे निर्माण हुआ जिसके अनुसार छोङा हुआ, परित्याग, अकेला आदि | अर्थात् ईश्वर, पति, मालिक स्वामी एक हि होता है |
जिस व्यक्ति कि पत्नी जीवित हो उस व्यक्ति के लिए विधुर शब्द का प्रयोग होता है जिसका तात्पर्य निम्न बातो के आधार पर है-
जिससे प्रेम करने वाला कोई हो, विरह, किसीसे अलग होकर पिङा भोगने वाला या वाली, वंचित, त्यागा हुआ या त्यागी हुई आदि |
विधवा विधुर शब्द भिन्न है पर दोनो शब्दो के अर्थ मे भिन्नता नही है पर ये शब्द जिसके लिए प्रयोग मे लिए जाते है उसके लिए अपमानजनक है हिन द्रष्टिकोण रहित है ये शब्द आपतिजनक भी है इसलिए यहां पर विधवा पुर्नविवाह जैसे शब्द का प्रयोग करते हुए उसके स्थान पररानी विवाहशब्द का उपयोग किया जा रहा है | रानी विवाह का नाम सुनकर यहा सबके मन मे प्रश्न उठता है रानी विवाह कैसे या रानी विवाह क्यिा है? जिसकी व्याख्या उपर्युक्त मत उपरान्त वर्णित है |