जीवन जीने के लिए है। जीने का मतलब केवल खुश होना ही नहीं होता। एहसास जीने का पोषण है। जब सारे एहसास जीवन को स्वतंत्र करते हो। वही पर जीने का पता चलता है। हमारा समाज बहुत सारी धार्मिक, विचारिक,राजनीतिक बातो को मानते हुए उनकी गुलामी करता है। इस में केवल जिन्दा होने का ही एहसास होता है। जीने का नहीं। इस कहानी में एक लड़की जिसका नाम 'परीका' है। वह धार्मिक, राजनीतिक वातावरण में उलझी हुई है। वह अपनी इच्छा से जीना चाहती है पर समाज की भीड़ का खौफ उसे यह करने नहीं देता। दुनिया में कौन है ? जिसके पास सत्य के लिए भीड़ से अलग और अकेला खड़ा होने का साहस हो। जीवन हर किसी को उसकी इच्छा से भरा मौका अवश्य देता है। उसके जीवन में वह मौका 'रैड' नाम के लड़के के रूप में आया। जो उसकी भावना को समझता है। मानवता का अर्थ केवल मदद करना ही नहीं होता। क्या रैड, परीका की जीने की इच्छा को पूरा कर पाता है ? या फिर वह भी लोगो की भीड़ का शिकार हो जाता है।
Details of Book: Parika
Book: | Parika |
Author: | Hira Lal |
Category: | Fiction |
ISBN-13: | 9789384314101 |
Binding: | Paperback |
Publishing Date: | 2015 |
Number of Pages: | 114 |
Language: | Hindi |
Reader Rating | N/A |
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